एक बार की बात है | की व्यक्ति के जीवित रहने की उम्मीद बिल्कुल समाप्त हो गई थी | उसने भगवान से विनती की कि यदि वह जीवित बच गया तो सो बेलो की बली भगवान को देगा | और भगवान ने उसकी विनती स्वीकार कर ली तथा वह व्यक्ति ठीक होने लगा |
परन्तु ठीक होने के बाद उस व्यक्ति में लालच आ गया और उसने बेलो की मुर्तिया बनवाई और वेदी पर रखकर उनमे आग लगा दी | तब उसने प्रार्थना की, “ओ स्वर्ग में रहने वाले भगवान, मेरी भेंट स्वीकार करो |”
भगवान यह देख क्र नराज हो गए हो उसे सबक सिखाने की लिए एक उपाय किया | उसी रात भगवान ने उस व्यक्ति को उसके सपने में दर्शन दिए और कहा – “हे मानव, समुंद्र किनारे जाओ और वहा पर तुम्हारे लिए सो मुद्रए रखी है |”
व्यक्ति को लालच आ गया और सुबह होते ही वह समुंद्र की किनारे पहुचा, परन्तु उसे वहा कुछ नहीं मिला | लालच के चक्कर में वह समुंद्र के किनारे – किनारे चलने लगा | चलते – चलते वह एकदम निर्जन व् वीरान जगह पर पहुच गया जहा चट्टानों की आड़ में समुद्री डाकू छिपे बेठे थे | समुंद्री डाकुओ ने उसे पकड़ा और बंदरगाह पर ले गए | वहा जाकर उन्होंने उसे गुलाम बनाकर बेच दिया तथा सो मुद्राए प्राप्त क्र ली |
सीख: धोखा देने वाले व्यक्ति का कभी भला नहीं होता है |
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