कौन तुम मेरे हृदय में?
कौन तुम मेरे हृदय में?
कौन मेरी कसक में नित
मधुरता भरता अलिक्षत?
कौन प्यासे लोचनों में
घुमड़ घिर झरता अपिरिचत?
स्व्रर्ण स्वप्नों का चितेरा
नींद के सूने निलय में!
कौन तुम मेरे हृदय में?
अनुसरण निश्वास मेरे
कर रहे किसका निरन्तर?
चूमने पदिचन्ह किसके
लौटते यह श्वास फिर ?
कौन बन्दी कर मुझे अब
बँध गया अपनी विजय मे?
कौन तुम मेरे हृदय में?
एक करुण अभाव चिर -
तृप्ति का संसार संचित,
एक लघु क्षण दे रहा
निवार्ण के वरदान शत-शत;
पा लिया मैंने किसे इस
वेदना के मधुर बय में?
कौन तुम मेरे हृदय में?
गूंजता उर में न जाने
दर के संगीतू-सा क्या!
आज खो निज को मुझे
खोया मिला विपरीत-सा क्या!
क्या नहा आई विरह- निशि
मिलन-मधदिन के उदय में?
कौन तुम मेरे हृदय में?
तिमिर-पारावार में
आलोक-प्रतिमा है अकिम्पत;
आज ज्वाला से बरसता
क्यों मधुर घनसार सुरिभत?
सुन रही हूं एक ही
झंकार जीवन में, प्रलय में?
कौन तुम मेरे हृदय में?
मूक सुख-दुख कर रहे
मेरा नया श्रांगार-सा क्या?
झूम गर्वित स्वर्ग देता -
नत धरा को प्यार-सा क्या?
आज पुलिकत सृष्टि क्या
करने चली अभिसार लय में?
कौन तुम मेरे हृदय में?
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Last edited by Vinay; 29th September 2012 at 19:03.
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